अल्ज़ाइमर और मस्तिष्क जागरूकता माह: जागरूकता बढ़ाना और कार्रवाई करना
Information by Dr. Ritwiz Bihari
Category: dementia

जून को वैश्विक स्तर पर अल्ज़ाइमर और मस्तिष्क जागरूकता माह के रूप में मान्यता दी जाती है — यह समय अल्ज़ाइमर रोग और अन्य न्यूरोलॉजिकल विकारों से प्रभावित लोगों के लिए जागरूकता बढ़ाने, कलंक को चुनौती देने और समर्थन देने के लिए समर्पित है।
अल्ज़ाइमर और मस्तिष्क जागरूकता माह क्यों महत्वपूर्ण है
अल्ज़ाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, जो वैश्विक मामलों का 60–80% हिस्सा है। यह धीरे-धीरे स्मृति, सोचने और दैनिक कार्यों की क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे मरीज, परिवार और देखभालकर्ता सभी प्रभावित होते हैं।
भारत में 2.4 करोड़ से अधिक लोग अल्ज़ाइमर से पीड़ित हैं और 2050 तक इसके चार गुना बढ़ने की आशंका है। जागरूकता और समय पर देखभाल पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। कई बार लोग डिमेंशिया को उम्र बढ़ने का सामान्य हिस्सा मान लेते हैं, जिससे समय पर निदान और उपचार नहीं हो पाता।
2025 की थीम: “डिमेंशिया पर कार्रवाई का समय, अल्ज़ाइमर पर कार्रवाई का समय”
इस वर्ष की थीम हर व्यक्ति — डॉक्टरों, देखभालकर्ताओं, समुदायों और सरकारों — से लक्षणों की जल्दी पहचान, भेदभाव को खत्म करने, और डिमेंशिया-अनुकूल दुनिया बनाने का आह्वान करती है। इसमें शामिल हैं:
- शुरुआती चेतावनी संकेतों की पहचान और समय पर निदान
- परिवारों को सामाजिक और भावनात्मक सहयोग
- बेहतर देखभाल और उपचार की व्यवस्था
- अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना
लक्षणों को पहचानना और शुरुआती निदान का महत्व
शुरुआती लक्षणों में अल्पकालिक स्मृति समस्याएं, संवाद में कठिनाई, व्यवहार में बदलाव, और दैनिक कार्यों में परेशानी शामिल हैं। इनकी समय पर पहचान से योजना बनाने, हस्तक्षेप करने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलती है।
आप कैसे मदद कर सकते हैं
- शिक्षा: लक्षणों और संसाधनों को समझें और दूसरों से साझा करें।
- बैंगनी पहनें: यह समर्थन का प्रतीक है और बातचीत को प्रेरित करता है।
- देखभालकर्ताओं का समर्थन करें: भावनात्मक, सामाजिक या व्यावहारिक मदद दें।
- स्वस्थ आदतें अपनाएं: व्यायाम, पौष्टिक आहार, सामाजिक गतिविधि, मानसिक उत्तेजना और पर्याप्त नींद मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- पक्षधर बनें: जागरूकता अभियानों से जुड़ें, स्वयंसेवा करें, और नीति बदलाव की मांग करें।
आशा का संदेश
हालांकि अभी कोई इलाज नहीं है, लेकिन शुरुआती पहचान और समग्र देखभाल से परिणामों में बड़ा अंतर आ सकता है। इस जून, आइए हम चुप्पी तोड़ें, मिथकों को चुनौती दें, और करुणा और कार्रवाई को बढ़ावा दें।
यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को स्मृति से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं, तो कृपया हेल्थकेयर प्रोवाइडर से संपर्क करें। चंदन हॉस्पिटल में हम करुणा के साथ नवीनतम न्यूरोलॉजिकल देखभाल प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
आइए अल्ज़ाइमर पर कार्रवाई करें — क्योंकि हर पल कीमती है।
डॉ. ऋत्विज बिहारी
अध्यक्ष एवं प्रमुख, न्यूरोलॉजी
चंदन हॉस्पिटल, लखनऊ