स्ट्रोक को समझना: कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम
Information by Dr. Ritwiz Bihari
Category: stroke

स्ट्रोक को समझना: कारण, लक्षण, उपचार और रोकथाम
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक तब होता है जब आपके मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त प्रवाह बाधित या कम हो जाता है, जिससे उस हिस्से की कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इससे कोशिकाएं मर सकती हैं, जो गंभीर जटिलताओं या मृत्यु का कारण बन सकता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और तुरंत इलाज आवश्यक है।
भारत में लाइफस्टाइल बदलाव, बढ़ता तनाव और उच्च रक्तचाप, डायबिटीज जैसे रिस्क फैक्टर के कारण स्ट्रोक के मामले बढ़ रहे हैं। भारत में हर साल लगभग 15 लाख स्ट्रोक के केस होते हैं, जो गंभीर पब्लिक हेल्थ समस्या है।
स्ट्रोक के प्रकार
- इस्केमिक स्ट्रोक: सबसे सामान्य प्रकार (85% मामले)। इसमें मस्तिष्क की रक्तवाहिनी में क्लॉट बनने से रक्त प्रवाह रुकता है।
- हेमरेजिक स्ट्रोक: कमजोर रक्तवाहिनी फटने से मस्तिष्क में खून भर जाता है और प्रेशर बढ़ जाता है।
- ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक (TIA): मिनी-स्ट्रोक, जिसमें अस्थायी क्लॉट बनता है और लक्षण कुछ मिनट रहते हैं। लेकिन यह भविष्य में स्ट्रोक का संकेत होता है।
स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर
- हाई ब्लड प्रेशर
- धूम्रपान
- डायबिटीज
- उच्च कोलेस्ट्रॉल
- मोटापा
- शारीरिक निष्क्रियता
- अत्यधिक शराब सेवन
- पारिवारिक इतिहास
स्ट्रोक के चेतावनी संकेत (F.A.S.T.)
- चेहरे, हाथ या पैर में अचानक कमजोरी (अक्सर एक तरफ)।
- अचानक बोलने में परेशानी या समझने में कठिनाई।
- अचानक दृष्टि में समस्या।
- अचानक चलने में असमर्थता, चक्कर आना।
- अचानक तेज सिरदर्द।
F.A.S.T. का अर्थ:
- F: फेस ड्रूप – मुस्कुराने पर एक तरफ लटकना।
- A: आर्म वीकनेस – एक हाथ कमजोर।
- S: स्पीच डिफिकल्टी – बोलने में कठिनाई।
- T: टाइम टू कॉल – तुरंत एमरजेंसी कॉल करें।
स्ट्रोक का उपचार
1. तुरंत प्रतिक्रिया
- एमएस (इमरजेंसी): तुरंत एम्बुलेंस बुलाएं।
- अस्पताल में पहुंचाना: वहां उचित इलाज मिलेगा।
2. इस्केमिक स्ट्रोक
- क्लॉट-बस्टिंग दवा: tPA या टेनेक्टेप्लेस, अगर 4.5 घंटे में पहुंचें।
- मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टॉमी: बड़े क्लॉट निकालने की प्रक्रिया।
3. हेमरेजिक स्ट्रोक
- सर्जरी: फटी रक्तवाहिनी ठीक करना।
- दवाएं: बीपी कम करने और ब्लीडिंग रोकने के लिए।
4. पुनर्वास और रिकवरी
- फिजिकल थेरेपी
- ऑक्यूपेशनल थेरेपी
- स्पीच थेरेपी
- इमोशनल सपोर्ट
5. सेकेंडरी प्रिवेंशन
- दवाएं: ब्लड थिनर, एंटीप्लेटलेट, कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवाएं।
- लाइफस्टाइल बदलाव:
- हेल्दी डाइट
- नियमित व्यायाम
- स्मोकिंग और शराब से बचना
- वजन नियंत्रण
- क्रॉनिक रोगों का नियंत्रण
निष्कर्ष
स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। समय पर पहचान, इलाज और पुनर्वास से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। अगर कोई स्ट्रोक के लक्षण दिखाए, तो तुरंत अस्पताल पहुंचें।